देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

लॉक डाउन के साइड इफेक्ट प्रवासी मजदूरों की की चिंता लेना जरूरी है।

गुजरात,दिल्ली,महाराष्ट्र ,दक्षिण भारत से लॉक डाउन के कारण बेरोजगार हुए दिहाड़ी और निजी कारखानों में काम करने वाले मजदूर अब अपने घरों में लौटने लगे है। ज्यादातर पैदल ही। यह बहुत ही भयावह स्थिति है।

अकेले दिल्ली से उत्तरप्रदेश और दिल्ली से अहमदाबाद मार्ग पर हजारों की संख्या में ये लोग झुंड के झुंड पैदल चल रहे है।
उज्जैन और आसपास के मार्गो पर भी अलीराजपुर-झाबुआ जाने वाले सेकड़ो आदिवासी मजदूर पैदल चल रहे है।
अचानक लॉक डाउन होने कारण इनकी समस्या बढ़ गई है। निर्माण कार्य बंद है,छोटे बड़े कारखाने बंद है,इस कारण लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए है।
गुजरात-महाराष्ट्र-दिल्ली से सबसे ज्यादा पलायन हो रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार को इन प्रवासी मेहनतकशों की चिंता करनी होगी।
हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय में प्रभावित राज्यों के कलक्टरों से इनकी व्यवस्था करने को कहा है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या इनकी चिंता किसी को है,अभी तक जो भी प्रयास किए गए है वो अफसरों,जनप्रतिनिधियों या समाजसेवियों ने निजी तौर पर किए है।
केंद्र और राज्य सरकार को इनके लिए योजना बनानी होगी इनको गंतव्य स्थल तक पहुंचना होगा,इनके स्वास्थ्य की जांच करनी होगी नही तो ये कोरोना के अनचाहे वाहक बन जायेंगे।
अभी तक प्रवासी(विदेश से आए हुए) मुसीबत थे अब राजमार्गो पर चल रहे ये प्रवासी झुंड चुनोती बनकर उभरे है।
यह लॉक डाउन का साइड इफेक्ट है।
दूसरा साइड इफेक्ट बैंकों में देखने को मिल मिल रहा है

खासकर कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों में ग्राहकों के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है। सरकारी आदेश के अनुसार 2 बजे दिन तक बैंक खुले रहेंगे,पर ज्यादातर जगह चेनल लगे है,बाहर से लोगो को टरका दिया जा रहा है।
हालांकि शिकायत के बाद संभागायुक्त आनंद शर्मा ने निरीक्षण कर जरूरी निर्देश दिए है। हो सकता है अब व्यवस्था सुधरे।
बैंकों के ग्रीन चेनल बन्द है,एटीएम भी जबाब दे रहे है ऐसे में बैंकों की व्यवस्था पर भी नजर रखी जाना जरूरी है।
आगे चलकर यह समस्या बनेगी क्योंकि लोग पैसा निकालने आयेंगे खासकर प्रधानमंत्री द्वारा दी गई राहत राशि के कारण भीड़ बढ़ना तय है।

प्रकाश त्रिवेदी